16 जर्जर छत के नीचे पढ़ रहे बच्चे

 




नगर परिषद स्कूलों में खतरा : सुविधाओं के लिए शिक्षकों की जेब पर दबाव

गोंदिया -  पिछले 40 से 50 वर्षों में नगर पालिका ने शहर में 20 स्कूल खोले. इसमें हिंदी और मराठी मीडियम शामिल है. लेकिन पिछले 15 वर्षों से ये विद्यालय उपेक्षित थे. परिणाम स्वरूप छात्रों की संख्या दिन--दिन घटती जा रही है. आज भी 20 स्कूलों में 2000 छात्र हैं. लेकिन पास की संख्या बनाए रखने के लिए शिक्षकों को अपनी जेब से खर्च करना पड़ता है. वहीं दूसरी ओर स्कूल इमारत खतरनाक हो गए हैं. 16 कक्षाएं काफी जर्जर हैं और इनमें जान जोखिम में डालकर ज्ञान देने का काम चल रहा है.

गोंदिया नगर परिषद क्षेत्र के विद्यार्थियों को उच्च गुणवत्ता की शिक्षा उपलब्ध कराने के लिए नगर परिषद द्वारा 20 विद्यालय संचालित किए जा रहे हैं. इनमें से कुछ स्कूल पहले गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के लिए मशहूर थे. इन स्कूलों ने कई उच्च पदस्थ अधिकारी, सफल उद्यमी, व्यवसायी पैदा किए हैं. लेकिन आज ये स्कूल इमारत खतरनाक हो गए हैं. वर्तमान में नगर परिषद के शहर में 20 स्कूल हैं, जिनमें से 16 मराठी माध्यम और 4 हिंदी माध्यम हैं, और इनमें 2,000 छात्र पढ़ते हैं. शिक्षकों के कुल स्वीकृत पद 105 हैं जिनमें से 15 पद रिक्त हैं. स्कूल की आधी छत टूट गई है. दीवारें टूट गई हैं और कुछ कक्षाओं की छतें टपक रही हैं. जर्जर दीवारों के कारण स्कूल में विद्यार्थियों की जान खतरे में है. ऐसे में शिक्षक भी अपनी जान जोखिम में डालकर छात्रों को पढ़ा रहे हैं. इमारत के नवीनीकरण का प्रस्ताव एक साल पहले नगर परिषद के शिक्षा विभाग को प्रस्तुत किया गया था, लेकिन अभी तक मंजूरी नहीं मिली है.

 

नाम डिजिटल, भौतिक सुविधाएं नदारद

नगर परिषद की 20 स्कूल चल रहे हैं. वे स्कूल सिर्फ दिखावे के लिए चल रहे हैं. उनमें से कुछ स्कूल डिजिटल भी हैं. लेकिन दूसरा ओर इनमें से कई स्कूलों में बैठने के लिए पर्याप्त सीटें नहीं हैं और भौतिक सुविधाओं का भी अभाव है. टूटे प्लास्टर, टूटे दरवाजे, टूटी हुई कक्षाएं, टूटी टाइल्स छात्रों के लिए पढ़ाई करना मुश्किल कर देती हैं.

 

रामनगर स्कूल की स्थिति चिंताजनक

रामनगर मनोहर म्यूनिसिपल स्कूल की स्थापना वर्ष 1965 में हुई थी. यहां 5वीं से 10वीं तक कक्षाएं हैं और 12 कक्षाओं में 171 से अधिक छात्र पढ़ते हैं. स्कूल में 4 शिक्षक कम हैं. हालांकि स्कूल का 10वीं का रिजल्ट 95 प्रश. रहता है. लेकिन हर साल मानसून के दौरान छात्र और शिक्षक डरे रहते हैं. कक्षाओं की छत पहले भी कई बार टूट चुकी है, जब छात्र कक्षा में थे तो स्लैब के कुछ हिस्से गिर चुके हैं. सौभाग्य से कोई दुर्घटना नहीं हुई. छत टपकने से छात्रों के ऊपर पानी गिर रहा है और उनकी किताबें भीग रही हैं. स्कूल में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं. लेकिन विद्यालय भवन जर्जर होने के कारण डर के साये में ज्ञानार्जन चल रहा है. इस संबंध में प्राचार्य अजय भिवगड़े ने कहा, कक्षाओं और स्कूलों की मरम्मत के लिए नगर पालिका को 12 बार आवेदन दिया गया है. लेकिन अभी इसे मंजूरी नहीं मिली है. स्कूल की छत की कांक्रीट गिरने से जान का खतरा बना हुआ है.

 

अतीत के गौरव के लिए प्रयासरत

नगर परिषद स्कूलों को फिर से समृद्ध बनाने पर ध्यान दिया जा रहा है. जगह-जगह अंग्रेजी कान्वेंट प्रारम्भ किए गए. सभी सामग्रियां निःशुल्क प्रदान की जाती हैं. जर्जर भवनों की मरम्मत का प्रस्ताव शासन को भेजा गया है. स्कूलों को उनका पुराना गौरव लौटाने का प्रयास है.

करणकुमार चव्हाण, मुख्याधिकारी, नप गोंदिया

 

सरकार की भूमिका पर निर्भर

जिला परिषद स्कूलों का पतन शुरू हो गया है. विविधता और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा के कारण, निजी स्कूलों के छात्र अब जिला परिषद स्कूलों में आ रहे हैं. शिक्षकों की संख्या कम होने के कारण परेशानी हो रही है. लेकिन स्वयंसेवकों की नियुक्ति से वह समस्या भी दूर हो गई है.

जनार्दन राऊत, गुट शिक्षाधिकारी गोंदिया

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